Pages

Showing posts with label sahitya. Show all posts
Showing posts with label sahitya. Show all posts

Wednesday, February 16, 2011

My First Gazhal

This is my first Gazhal. Don`t know whether I can call it a gazhal or not. I tried my best. Give me comments and tell me about my mistakes.

Radeef = हैं

Kafiya =  अर

vajna  =  फायलातुन फाइलुन


कहने भर को शहर हैं |
पत्थरो का बसर हैं |


कामयाबी के सफ़र में,
हर अगर तो जहर हैं |


पार पा ले डर पे गर,
फिर तो आसा सफ़र हैं |


बोलता हूँ सच, तभी
दूर मुझसे ज़फर हैं |


गैर की तो बात क्या,
अपनों का ही कहर हैं |


कोहरा फैला तो क्या ,
होने को फिर भी सहर हैं |


लोग सब कल आएँगे,
आज `अंकुर` जिधर हैं |


Tell me about my mistakes...



Share |

Monday, January 17, 2011

A Gazhal

Today I read a Gazhal written by my father, Mr. Bhawishya dutt 'bhawishya'. I liked it very much and I am posting it, hope you will also like it.



रोशनी मद्धम हुई अब क्या करें,

साजिशें, सूरज ने की अब क्या करें |



ढील देकर खेंच लेता डोर को,

हर पतंग ऐसे कटी अब क्या करें |



बेपरों की ज़िंदगी, परवाज़ पर,

तब्सरा करने लगी अब क्या करें |



पहले ही तो धूप यां आती नहीं,

बंद होने को गली, अब क्या करें |



नफरते ही नफरते हैं शहर में,

प्यार की सूखी नदी अब क्या करें |



इस कदर खामोश हैं यां लोग की,

चीखने चुप्पी लगी अब क्या करें |



भविष्य दत्त 'भविष्य'
Share |